Tuesday, 5 April 2016

।। श्रीउमानन्दपञ्चकम् ।।


सरस्वती मुखे यस्याः सिद्धिबुद्धिप्रदायिनी
पापतापदुःखहर्त्रीम् उमानन्दं गुरुं भजे ।।1।।


महायोगिनी ह्येकमेवाद्वितीया
लसत्स्वामिनी योगपन्थानुगम्या
शिवानन्दवासः सुभाति सदा ते
उमानन्द मामुद्धर त्वं गतिर्मे ।।2।।

शिवं मार्गगम्या जपध्यानयोगैः
रता कुण्डलिन्याः सुशक्तौ नित्यम्
मुखे राजते तत्प्रभा सात्त्विकी या
चिदानन्दशीला परब्रह्मरम्या ।।3।।

जटाभारशोभा महायोगलक्ष्मी
सुहास्यानना भक्तदीक्षां ददाति
तया योगशक्त्या सुदैवं कृतं हि
महद्वन्दनीया उमानन्दवर्याः ।।4।।

सदा भक्तरम्या सदा भक्तिगम्या
मुदा सर्वभक्तेच्छपूर्तिं करोति
सुसूक्ष्मादिरूपेण व्याप्तं विश्वं
उमानन्दवर्ये नमः कोटिवारम् ।।5।।

।।इति श्रीहरिविरचितं श्रीउमानन्दपञ्चकं सम्पूर्णम् ।।


About the Author

Shreehari Gokarnakar

Author & Editor

He is a Teacher and researcher in Sanskrit language.

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