Thursday 22 October 2015

स्त्रीशक्ति



तू अबला बन मत नारी
चल हाथ में ले के कटारी
अज्ञान पर इस काम पर
इस मोह पर इस क्रोध पर
तू वार कर…… 1

तू अबला बन मत नारी
चल हाथ में ले कर आरी
दुर्गा का रूप लेकर
इन दुष्ट विचारों का
संहार कर…… 2


तू सबला बन ओ नारी
खडी हो अब तेरी बारी
तू काली माता बनकर
इन दुष्ट राक्षसों का
आहार कर… 3

कली का है तांडव चल रहा
दुर्जन का शासन खल रहा
दु:शासन करते चिरहरण
चूपचाप है धर्म अकारण ....4

अब भी है पल पल मरती
हर गली में न्याय माँगती
इतिहास की पुनरावृत्ती
सीता हो याऽऽ द्रौपदी ...5

अब तुझको ही उठना होगाऽऽ
वो कृष्ण बचाने ना होगाऽऽ
तुझको ही खुदको जान कर
ये शस्त्र उठाना होगाऽऽ ...6

तू अबला बन मत नारी……
हो रूप तुम शक्ति का
तू सबला बन ओ नारी……
हो रूप तुम गति का
तू अबला बन मत नारी……
हो रूप तुम दुर्गा का
तू सबला बन ओ नारी……
हो रूप तुम काली का 

ऐ काली माँ……
खल के मनोबल को कर दुर्बल
ऐ दुर्गा माँ……
सज्जनो के मन को कर निर्मल

~ श्रीहरी 

About the Author

Shreehari Gokarnakar

Author & Editor

He is a Teacher and researcher in Sanskrit language.

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