Sunday 11 October 2015

।। श्रीकृष्णसप्तकम्।।

वृत्तम् = चर्चरी अन्यानि नामानि = हरनर्तनं विबुधप्रिया कुमुद्वती । प्रतिचरणं 18 अक्षराणि

योगनायक योगगायक योगदायक पाहि माम्
योगपावकदोषनाशक नन्दनन्दन रक्ष माम्
हे भयंकर हेऽभयंकर हे जयंकर पाहि माम्
हे नरेश्वर हे नटेश्वर हेऽनघेश्वर रक्ष माम् ।।1।।

वेदतारक वेणुवादक वेदनाहर पाहि माम्
सौख्यदायक दुःखहारक सृष्टिरक्षक रक्ष माम्
विश्वबालक विश्वपालक विश्वचालक रक्ष्यताम्
विश्वरञ्जक विश्वशोधक विश्वमोचक पायताम् ।।2।।



हे युगन्धर हे धुरन्धर हे नगन्धर रक्ष्यताम्
हे सुदर्शनचक्रधारिकवे सुनन्दन पायताम्
गोपवल्लभ गोपदुर्लभ गोपयोधर रक्ष माम्
गोपनन्दन गोपचन्दन गोमनोहर पाहि माम् ।।3।।

कालियाधर कंसमारक पार्थबोधक मध्वरे
पापहारक तापनाशक पायतां वर भूपते
नर्तकोत्तम साधुसेवक मन्दहास्य लसद्वर
नीतिपण्डित तत्त्वविद्वर पायतां जनभूपते ।।4।।

पाण्डवप्रिय पाण्डवप्रिय गोधनप्रिय तुष्यताम्
देवकीवसुदेवनन्दन नन्दपुत्र सुगीयताम्
पाञ्चजन्यसुवादक प्रियद्रौपदीधन रक्ष्यताम्
भारतीयसुसंस्कृतिप्रिय भारती मम दीयताम् ।। 5।।

श्यामसुन्दर हास्यसुन्दर चित्तपावन लस्यताम्
सारथे जय दामिनीनवनीतचोर सुभुज्यताम्
पूतनायक पूतनाहन पूतनागर पूयताम्
यामिनीधन भामिनीवर कामिनीमद जीयताम् ।।6।।

भुक्तिदायक मुक्तिदायक शक्तिदायक माहरे
गोपतारक गोपिकेश्वर गोपनायक श्रीहरे
एहि माधव एहि केशव चित्तहारक रक्ष्यताम्।
रुक्मिणीवर राधिकेश्वर गोकुले मम नन्द्यताम् ।।7।।

।।इति श्रीहरिविरचितं श्रीकृष्णसप्तकं सम्पूर्णम् ।।

About the Author

Shreehari Gokarnakar

Author & Editor

He is a Teacher and researcher in Sanskrit language.

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